दिल्ली में यमुना की सफाई फिर से शुरू, एलजी ने दिया आदेश, जानें इसे क्यों रोका गया था
दिल्ली में यमुना की सफाई में जुटीं बड़ी-बड़ी मशीनें, कैसे करती हैं काम, कब तब साफ होगी नदी, समझें पूरा प्लान

नई दिल्ली:-दिल्ली में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया है. दिल्ली के एलजी ने नदी की सफाई का काम शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं और कालिंदी कुलंज घाट पर नदी की सफाई का काम शुरू हो गया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने यमुना सफाई अभियान के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद गाद हटाने और खरपतवार निकालने के लिए आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं. यमुना की सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के चलते दिल्ली में नदी की सफाई का काम रुक गया था.
क्यों रुक गया था यमुना की सफाई का काम?
यमुना की सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले के बाद जनवरी 2023 में एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी. NGT ने दिल्ली के उपराज्यपाल को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया था. एलजी को चेयरमैन बनाने का उद्देश्य ये था कि यमुना की सफाई के लिए उन सभी एजेंसियों को एक साथ लाया जा सके जो उसके लिए जिम्मेदार थीं.
हालांकि तब की अरविंद केजरीवाल सरकार NGT के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यमुना में प्रदूषण का मुद्दा गंभीर तो है लेकिन इसके ऊपर दिल्ली सरकार का बजट खर्च होगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्या दलील दी?
इसी दलील को आधार बनाकर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के सामने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह दलील दी कि यमुना में प्रदूषण का मुद्दा काफी गंभीर होता जा रहा है. इसके पीछे वजह यह भी है कि दिल्ली में कई सारी एजेंसियां यमुना की सफाई का काम करती हैं. इसलिए जवाबदेही तय करने के लिए उपराज्यपाल के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
इस सुनवाई के बाद 11 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें यमुना सफाई कमेटी का अध्यक्ष उपराज्यपाल को बनाया गया था. लेकिन ये आदेश सिर्फ चेयरमैन के पद तक ही सीमित था. चूंकि दिल्ली में कोई सरकार नहीं है तो फिलहाल अधिकारियों के उपर यमुना सफाई को लेकर ये जिम्मेदारी डाली गई है.
दिसंबर 2027 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य
दिल्ली सरकार अगले दो वर्षों में शहर के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs), जिनमें छह नए प्लांट भी शामिल हैं, को पूरी तरह कार्यशील बनाएगी ताकि यमुना में बहने वाले सीवेज और औद्योगिक कचरे को पूरी तरह रोका जा सके. दिसंबर 2027 तक यमुना को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया है. यह जानकारी सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन चौधरी ने दी.
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शनिवार को मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण) से मुलाकात की और उन्हें तुरंत काम शुरू करने को कहा. यमुना नदी की सफाई से जुड़े वीडियो जारी करते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने बताया कि यमुना नदी की सफाई का काम शुरू हो चुका है. कचरा उठाने, खरपतवार निकालने और अन्य गंदगी को हटाने के लिए स्किमर और वीड हार्वेस्टर जैसी मशीनों के जरिये यमुना की सफाई की जा रही है.
तो चलिये जानते हैं कि ये ट्रैश स्कीमर और वीड हार्वेस्टर जैसी आधुनिक मशीनों कैसे काम करती है
ट्रैश स्किमर कैसे करती है काम?
ट्रैश स्किमर एक स्पेशलाइज्ड नाव की तरह होती है, जिसे नदी की सतह पर तैरते हुए कचरे को इकट्ठा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसके अगले हिस्से में एक कन्वेयर बेल्ट लगी होती है, जो पानी की सतह पर तैरते प्लास्टिक, थर्मोकोल, पत्ते, बोतलें और अन्य कचरे को खींचकर इकट्ठा करती है. यह कचरे को मशीन के अंदर लगे डिब्बे में स्टोर करती है.
इस ट्रैश स्किमर में एक फिल्टरिंग सिस्टम होता है, जो कचरे और पानी को अलग करता है. पानी वापस नदी में चला जाता है और कचरा डिब्बे में इकट्ठा होता रहता है. जब डिब्बा भर जाता है, तो मशीन इसे किनारे पर लाकर डंपिंग साइट पर खाली करती है. इसके बाद कचरे को रिसाइक्लिंग या उपयुक्त निपटान के लिए भेजा जाता है.
जलकुंभी हटाती है वीड हार्वेस्टर
वीड हार्वेस्टर मशीनें जलकुंभी और दूसरे खरपतवार को हटाने के लिए उपयोग की जाती हैं. जलकुंभी नदी के जल प्रवाह को रोकती है और पानी की गुणवत्ता को खराब करती है. वीड हार्वेस्टर में एक कटिंग ब्लेड और कन्वेयर बेल्ट होती है, जो जलकुंभी को जड़ से काटकर उसे कन्वेयर बेल्ट पर खींचती है. यह कटी हुई जलकुंभी को मशीन के भंडारण डिब्बे में इकट्ठा करती है.
जलकुंभी को हटाने से पानी में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे जलीय जीवों को स्वस्थ वातावरण मिलता है. यह नदी के जल प्रवाह को भी सामान्य बनाती है. डिब्बा भर जाने के बाद, मशीन इसे किनारे पर लाकर डंपिंग साइट पर खाली करती है. इन जलकुंभियों को फिर खाद या बायोफ्यूल बनाने के लिए रिसाइक्लिंग किया जा सकता है.
ट्रैश स्किमर और वीड हार्वेस्टर नदी की सतह और अंदर के कचरे को तेजी से हटाते हैं, जिससे मानव श्रम की आवश्यकता कम होती है. यह सफाई प्रक्रिया को तेज़, सटीक और प्रभावी बनाते हैं. ये मशीनें पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाए बिना कचरे को साफ करती हैं.
कब तक साफ हो जाएगी यमुना नदी
अब एक सवाल उठता है कि आखिर यमुना नदी कब तक साफ हो पाएगी. इस पर दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य सचिव (आई एंड एफ सी) नवीन कुमार चौधरी ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, ‘उच्चतम स्तर से मिले निर्देशों के अनुसार हम यमुना को 3 साल में साफ करेंगे. 2027 से पहले हम इसे साफ करने की कोशिश करेंगे. यह काम 3-4 चरणों में किया जाएगा…’
बता दें कि यमुना नदी की सफाई के लिए चार सूत्री रणनीति बनाई गई है. सबसे पहले यमुना के पानी में जमा कचरा, कूड़ा और गाद को हटाया जाएगा. वहीं नजफगढ़ नाला, सप्लीमेंट्री नाला और अन्य सभी प्रमुख नालों की सफाई का काम भी शुरू हो जाएगा. तीसरी रणनीति में मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की क्षमता और उत्पादन पर रोजाना निगरानी रखी जाएगी. वहीं, चौथी रणनीति के तहत नई एसटीपी और डीएसटीपी के निर्माण के लिए एक समयबद्ध योजना तैयार की गई है, ताकि लगभग 400 एमजीडी गंदे पानी की वास्तविक कमी को पूरा किया जा सके.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि नगर की औद्योगिक इकाइयां नालों में गंदा पानी न छोड़ें. यह कदम यमुना नदी के पुनरुद्धार प्रयासों के तहत उठाया गया है, ताकि नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके और प्रदूषण पर काबू पाया जा सके..
अनट्रीटेड सीवेज यमुना में बहाया तो होगी कार्रवाई
उन्होंने कहा, ‘साथ ही, लगभग एक दर्जन STPs को आधुनिक बनाने और छह नए संयंत्रों के निर्माण को 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. दिसंबर 2026 तक जब सभी STPs पूरी तरह कार्यशील हो जाएंगे, तब यदि किसी भी स्थान पर अनट्रीटेड सीवेज को यमुना में बहाया जाता पाया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.’ औद्योगिक कचरे के प्रवाह को रोकने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली नगर निगम (MCD) और उद्योग विभाग मिलकर काम करेंगे.