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भूकंप के जोरदार झटकों से फिर कांपा म्यांमार, आज आए 4 से 5 की तीव्रता वाले 2 भूकंप

भूकंप प्रभावित म्यांमार को भारत से मिल रही भरपूर मदद; जानें क्या है ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’..UNICEF अधिकारी ने बताया विनाशकारी..

नई दिल्ली:-भूकंप के जोरदार झटकों से म्यांमार की धरती फिर कांप गई। आज 2 बार भूकंप आया। पहले 4.6 की तीव्रता वाला भूकंप आया और दूसरी बार 5.1 की तीव्रता वाला भूकंप आया। दोनों भूकंप मांडले के निकट महसूस किए गए, जहां शुक्रवार को आए 7 की तीव्रता वाले भूकंप से मस्जिद ध्वस्त हो गई थी। USGS के अनुसार, रविवार को म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर के पास 5.1 तीव्रता का भूकंप आया। शुक्रवार के आए विनाशकारी भूकंप के बाद लगातार कई झटके लगे और लगते जा रह हैं।

वहीं आज फिर भूकंप के झटके लगने पर मांडले के निवासी चीखने लगे। आज आए भूकंप का केंद्र मांडले से 13 मील दूर उत्तर-पश्चिम में धरती के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में मिला। शुक्रवार को शहर के पास 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे कई इमारतें ढह गईं थीं और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा था। इस भूकंप ने 1645 लोगों की जान ले ली और 3400 से अधिक लोगों को लापता कर दिया। इस भूकंप ने म्यांमार के साथ बैंकॉक में भी काफी तबाही मचाई।

2 दिन पहले आए भूकंप ने मचाई थी तबाही
रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार दोपहर को म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास भूकंप आया था। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर इमारतें ढह गईं और शहर के हवाई अड्डे सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। एक प्रमुख अमेरिकी भूविज्ञानी के अनुसार, शुक्रवार को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के घातक भूकंप की ऊर्जा 300 से अधिक परमाणु बमों के बराबर थी। भूविज्ञानी जेस फीनिक्स ने CNN को बताया कि इस तरह के भूकंप से निकलने वाली शक्ति लगभग 334 परमाणु बमों के बराबर होती है।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भूकंप के झटके कई महीनों तक लगातार लग सकते हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट म्यांमार के नीचे यूरेशियन प्लेट से टकराती रहती हैं, जिससे निकली ऊर्जा ने म्यांमार को तबाह कर दिया। इस बार सिर्फ 10 किलोमीटर दूर टकराव हुआ, इसलिए एनर्जी की स्पीड बहुत ज्यादा थी। उस भूकंप ने म्यांमार के साथ-साथ थाईलैंड में भी 17 लोगों की जान ले ली। बैंकॉक में भूकंप ने 1.7 मिलियन लोगों वाले शहर में भयानक विनाश किया, जिसके परिणामस्वरूप इमारतें ढह गईं, पुल क्षतिग्रस्त हो गए और सड़कों में दरारें आ गईं। म्यांमार और बैंकॉक में भूकंप ने दहशत का जो मंजर दिखाया था.


म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप के कारण भारी तबाही मची हुई है। दोनों देशों में नुकसान का अब तक आकलन नहीं हो पाया है। बैंकॉक में मरने वालों की संख्या रविवार को बढ़कर 17 हो गई। बैंकॉक मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के अनुसार, 32 लोग घायल हुए हैं और 82 अभी भी लापता हैं। म्यांमार में अब तक 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,408 लोग घायल हुए हैं। इस आपदा को लेकर यूनिसेफ अधिकारी ने बताया कि इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित कौन हुआ है।

म्यांमार-थाईलैंड भूकंप के बाद यूनिसेफ की क्षेत्रीय संचार प्रमुख एलियन लूथी ने कहा कि बच्चों पर इसका प्रभाव विनाशकारी है। यह एक ऐसा देश है जो पहले से ही संकट में है। लाखों लोगों के पास पहले से ही बुनियादी जरूरतों तक पहुंच नहीं थी और अब इस आपदा ने उन्हें और अधिक कठिनाई में डाल दिया है।


एलियन लूथी ने कहा कि सबसे पहली प्राथमिकता बच्चों को सुरक्षित रखना होनी चाहिए। दूसरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि लोगों के पास आश्रय हो और स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था की जाए, क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में इसकी कमी जरूर होगी। उन्होंने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि बच्चों की सहायता कैसे की जाए, क्योंकि उनमें से कई मनोवैज्ञानिक आघात का सामना कर रहे हैं। हम दूसरों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि वे सामान्य बचपन में लौट सकें, जिसके वे हकदार हैं।

भारत ने भेजी सहायता
विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत नई दिल्ली ने पड़ोसी देश में दो नौसैनिक जहाज भेजे हैं और एक फील्ड अस्पताल को एयरलिफ्ट कर म्यांमार भेजा गया है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक ब्रीफिंग में कहा कि इस मानवीय सहायता अभियान के तहत दो और भारतीय नौसैनिक जहाज वहां भेजे जाएंगे।

भारतीय सेना का एक विमान 15 टन राहत सामग्री लेकर म्यांमार पहुंचा और फिर एक अन्य विमान से बचाव कर्मियों को भेजा गया। अधिकारियों ने बताया कि भारत, म्यांमार में बचाव कर्मियों को पहुंचाने वाला पहला देश बन गया है.भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में इस समय भूकंप ने तबाही मचा रखी है। म्यांमार में 24 घंटों में 16 बार भूकंप के झटके लगे हैं। पूरे देश में चारों तरफ विनाश और तबाही दिख रही है। इस तबाही में 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 2000 से ज्यादा लोग घायल है। म्यांमार के इस मुश्किल समय में भारत की तरफ से मदद के हाथ आगे बढ़ाए गए हैं। म्यांमार में भूकंप आने के बाद भारत की तरफ से 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई गई। इसके अलावा भारतीय थल सेना और वायुसेना अलर्ट मोड में हैं और सहायता में जुटे हुए हैं। म्यांमार की मदद करने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार ने इस अभियान का नाम ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ क्यों रखा है? चलिए जानते हैं…

म्यांमार को भारत से मिल रही मदद
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारत की तरफ से 15 टन राहत सामग्री के साथ पहला विमान हिंडन वायुसेना अड्डे से सुबह करीब 3 बजे रवाना हुआ और सुबह करीब 8 बजे यांगून पहुंचा। वहां मौजूद भारतीय राजदूत ने राहत सामग्री को रिसीव किया और उसे यांगून के मुख्यमंत्री को सौंप दिया। इसके बाद खोज और बचाव कर्मियों, उपकरणों और कुत्तों को लेकर 2 विमान भारत से रवाना हुए।

राहत मिशन का नाम ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ क्यों?
इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणधीर जायसवाल ने बताया कि म्यांमार में भारत के राहत मिशन का नाम ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ क्यों रखा गया। उन्होंने कहा कि भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा की शुरुआत की है। म्यांमार में भारत के राहत अभियान का नाम भगवान ब्रह्मा के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मा सृजन के देवता हैं, ऐसे समय में हम म्यांमार सरकार और म्यांमार के लोगों को तबाही के बाद अपने देश के पुनर्निर्माण में मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। ऑपरेशन के इस खास नाम का एक खास मतलब है।

म्यांमार पहुंची 118 सत्रुजीत कैडेट
भारत की तरफ से ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत शनिवार को 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई गई। इसमें भारतीय वायु सेना की आपूर्ति में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और कुछ जरूरी दवाएं शामिल थीं। न्यूज़ 24 से बात करते हुए मेजर जनरल वी. शारदा ने बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल जगनीत गिल के नेतृत्व में लगातार म्यांमार के हालातों की निगरानी की जा रही है। इसके अलावा 118 सत्रुजीत कैडेट को सहायता के लिए भेजा गया है।


क्या हैं सत्रुजीत कैडेट
?
बता दें कि भारतीय थल सेना का सत्रुजीत वह दल है जो किसी भी परिस्थितियों में हजारों फीट की ऊंचाई से विमान से पैराशूट के जरिए सटीक उसी जगह पर उतरकर मदद के लिए तैनात हो सकते हैं, जहां पर कोई फंसा हो या फिर कोई मदद के लिए पुकार रहा हो। सत्रुजीत कमांडो को यह स्पेशल ट्रेनिंग आगरा कैंट में 6 महीने तक दी जाती है।

VISHAL LEEL

Sr Media person & Digital creator, Editor, Anchor

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