कांग्रेस ने कहा, ‘अंबेडकर की विरासत का बचाव करने’ के लिए राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना ‘सम्मान का प्रतीक’
कांग्रेस और विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया. वहीं अमित शाह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उनके वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. इस बीच अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अमित शाह पर निशाना साधा है..
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि संसद में हाथापाई के सिलसिले में राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी और कुछ नहीं बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी के खिलाफ उनके कड़े विरोध के जवाब में “ध्यान भटकाने की रणनीति” है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बाबासाहेब की विरासत की रक्षा करने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज करना “सम्मान की बात” है।
वेणुगोपाल ने पोस्ट में लिखा, “श्री राहुल गांधी जी के खिलाफ एफआईआर कुछ और नहीं बल्कि गृह मंत्री के खिलाफ उनके कड़े विरोध के जवाब में ध्यान भटकाने की रणनीति है।”
बाबासाहेब की विरासत की रक्षा करने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज होना सम्मान की बात है। और किसी भी मामले में, राहुल जी पहले से ही भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध के कारण 26 एफआईआर का सामना कर रहे हैं और यह नवीनतम एफआईआर उन्हें या कांग्रेस को जातिवादी आरएसएस-भाजपा शासन के खिलाफ खड़े होने से नहीं रोक पाएगी।”
इसके अलावा, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन कांग्रेस की महिला सांसदों की शिकायत पर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उन्होंने जानना चाहा, ‘‘साथ ही, दिल्ली पुलिस ने उन भाजपा नेताओं के खिलाफ कांग्रेस की महिला सांसदों द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर कार्रवाई क्यों नहीं की जिन्होंने उन पर शारीरिक हमला किया था?’’
राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को संसद भवन में हुई हाथापाई के सिलसिले में राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें दो भाजपा सांसद घायल हो गए थे।
भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर संसद परिसर में हाथापाई के दौरान “शारीरिक हमला और उकसावे” का आरोप लगाया गया था, तथा उन पर हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों के तहत अभियोग चलाने की मांग की गई थी।
भाजपा सांसद हेमंग जोशी ने संसद मार्ग पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। इस मौके पर भाजपा के अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज भी मौजूद थे।
गांधी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 117 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 125 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने का कृत्य), 131 (आपराधिक बल का प्रयोग), 351 (आपराधिक धमकी) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कांग्रेस ने भी उसी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि भाजपा नेताओं ने उनके प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ दुर्व्यवहार किया और उनके खिलाफ “हमला, गंभीर चोट और मारपीट” की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।
संसद में हाथापाई
संसद में गुरुवार को उस समय अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला जब भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर मारपीट और धक्का-मुक्की का आरोप लगाया। भाजपा के दो सांसदों को चोटें आईं और एक महिला सांसद ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर धमकाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि भाजपा विधायकों ने राहुल गांधी का रास्ता रोका और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को धक्का दिया, जिससे उनके घुटने में चोट लग गई।
यह विवाद संसद के मकर द्वार की सीढ़ियों के पास उस समय शुरू हुआ, जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) के सदस्य अमित शाह के बीआर अंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
राज्यसभा में अमित शाह के भाषण के बाद से सियासी पारा हाई है. कांग्रेस और विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया. वहीं अमित शाह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उनके वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. इस बीच अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अमित शाह पर निशाना साधा है.
अमित शाह की निंदा करने वाले अपने खुले पत्र के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को डॉ. बीआर आंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला किया. सिद्धारमैया ने दावा किया कि अगर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान नहीं होता तो अमित शाह कचरा उठा रहे होते.
सिद्धारमैया ने कर्नाटक विधानसभा में बोलते हुए कहा, “अगर राज्यसभा के सभापति वास्तव में संविधान के तहत काम कर रहे थे, तो उन्हें अमित शाह को तुरंत सदन से निलंबित कर देना चाहिए था.”
बता दें कि मंगलवार को संविधान पर संसदीय चर्चा के दौरान शाह की टिप्पणी के बाद विवाद खड़ा हो गया. अमित शाह ने कहा था, “अभी एक फैशन हो गया है. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता. अच्छी बात है. हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं. आंबेडकर का नाम अभी 100 बार ज्यादा लो. लेकिन आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है?”
अमित शाह के बयान की कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने व्यापक आलोचना की है, जिन्होंने उन पर भारतीय संविधान के निर्माता का अपमान करने का आरोप लगाया है. अपनी टिप्पणी पर विवाद का जवाब देते हुए अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, “मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया. कांग्रेस फर्जी खबरें फैलाती है. मैं आंबेडकर जी के खिलाफ कभी नहीं बोल सकता. उन्होंने (कांग्रेस ने) मेरी टिप्पणी (डॉ बीआर आंबेडकर पर) को तोड़-मरोड़ कर जनता के सामने पेश किया. मैं सभी से मेरी पूरी टिप्पणी सुनने का आग्रह करता हूं, इससे सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा. मैं एक ऐसी पार्टी और समाज से आता हूं जो सपने में भी डॉ बीआर आंबेडकर का अपमान नहीं कर सकता.”
गौरतलब है कि बुधवार को सिद्धारमैया ने शाह को एक खुला पत्र लिखा और इसे एक्स पर पोस्ट किया. पत्र में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि गृह मंत्री की टिप्पणी, जो आश्चर्यजनक नहीं थी, भारतीय संविधान के निर्माता के बारे में उनके “लंबे समय से रखे गए विचारों” को दर्शाती है.