भारत की अंतरिक्ष ताकत को मिला नया आयाम, Spadex मिशन में ISRO ने रची ऐतिहासिक उपलब्धि
भारत में होली की धूम मची है. इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दे दी है. हुआ यह है कि इसरो ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट Spadex के तहत दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अनडॉक कर दिया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) मिशन के तहत पहली अनडॉकिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. स्पेडेक्स मिशन को इसरो ने कम लागत में विकसित किया है, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई दिशा देगा.
इस मिशन में दो छोटे उपग्रहों (SDX-1 और SDX-2) को पहले अंतरिक्ष में जोड़ने और फिर सफलतापूर्वक अलग करने का प्रयोग किया गया. यह तकनीक भविष्य में भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन (BAS), चंद्रमा पर अनुसंधान केंद्र, और अन्य डीप स्पेस मिशनों के लिए उपयोगी होगी.देश में होली की धूम मची है. इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दे दी है. हुआ यह है कि इसरो ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट Spadex के तहत दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अनडॉक कर दिया है. यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक बड़ा पड़ाव है. इससे भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान 4 जैसे मिशनों का मार्ग प्रशस्त होगा. 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किए गए इस मिशन का उद्देश्य स्पेस डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करना था और अब इसकी अनडॉकिंग भी सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है.
असल में इस मिशन में चेसर Chaser और टारगेट Target नाम के दो सैटेलाइट शामिल थे. पहले चरण में चेसर सैटेलाइट ने टारगेट को सफलतापूर्वक डॉक किया था. अब अनडॉकिंग के दौरान इसरो ने एक जटिल प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसमें कैप्चर लीवर को रिलीज किया गया. डी कैप्चर कमांड भी जारी हुआ. फिर आखिरकार दोनों उपग्रहों को अलग कर दिया गया. इस तकनीक का विकास भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है जिससे भविष्य में अंतरिक्ष में उपग्रहों की मरम्मत ईंधन भरने और मलबे को हटाने जैसी जटिल प्रक्रियाओं में मदद मिलेगी.
मिशन की सफलता के क्या फायदे होंगे?
पहले तो इसरो की इस सफलता से भारत चौथा ऐसा देश बन गया है जिसने स्पेस डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. अब तक यह तकनीक केवल अमेरिका रूस और चीन के पास थी. यह तकनीक भारत को भविष्य में अंतरिक्ष में मॉड्यूल जोड़ने बड़े अंतरिक्ष यानों के निर्माण और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन BAS की स्थापना में मदद करेगी. भारत की योजना 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है जिसके तहत 2028 में पहला मॉड्यूल लॉन्च किया जाएगा.
भविष्य के मिशनों के लिए कैसे फायदेमंद होगा Spadex?
स्पैडेक्स मिशन की सफलता से गगनयान और चंद्रयान 4 जैसे मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए रास्ता साफ हो गया है. इसरो अब ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है जिससे कक्षा में छोड़े गए सैटेलाइट्स को वापस लाया जा सके. जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से ईंधन देकर सक्रिय किया जा सके. इस तकनीक से भविष्य में डीप स्पेस मिशन चंद्रमा और मंगल पर बेस बनाने और अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों में काफी मदद मिलेगी.
सफलता की कहानी
स्पेडेक्स (SPADEX) मिशन का प्राथमिक उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों के मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक को विकसित करना था. इस मिशन के तहत:
• SDX-2 एक्सटेंशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया.
कैप्चर लीवर 3 को योजना के अनुसार रिलीज़ किया गया.
•SDX-2 में कैप्चर लीवर को अलग किया गया.
•SDX-1 और SDX-2 के लिए डिकैप्चर कमांड जारी किया गया.
यह मिशन PSLV रॉकेट द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे उपग्रहों (SDX-1: चेज़र और SDX-2: टार्गेट) का उपयोग करके किया गया. यह अंतरिक्ष में इन-स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करने वाला एक किफायती मिशन है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद जरूरी है.
स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिशन है। यह टेक्नोलॉजी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे चंद्रमा पर भारतीय के जोन, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के निर्माण और संचालन आदि के लिए जरूरी है। जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेटों के लॉन्चिंग की आवश्यकता होती है, तब इन-स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी अनिवार्य होती है।
मिशन का उद्देश्य
स्पेडेक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य निम्न भू वृत्ताकार कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान (एसडीएक्स01, जिसका नाम चेज़र है, और एसडीएक्स02, जिसका नाम टार्गेट है) उसके मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को डेवलेप और प्रदर्शित करना है।
द्वितीयक उद्देश्यों में डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति के अंतरण का प्रदर्शन, जो अंतरिक्ष रोबोटिक्स जैसे भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक है। समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण। अनडॉक करने के बाद नीतभार संचालन।
SPADEX उपग्रहों की यह सफल डी-डॉकिंग भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं के लिए एक बड़ी छलांग है। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान जैसे भविष्य के मिशनों के लिए दरवाजे खोलता है। इसरो के स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा किया… इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन की राह खुल गई है।
ऐसे पूरी हुई प्रक्रिया
एक्स पर एक पोस्ट में, इसरो ने उन घटनाओं के अनुक्रम के बारे में विस्तार से बताया, जिसके कारण यह प्रयोग सफल हुआ। इसमें एसडीएक्स-2 का विस्तार, कैप्चर लीवर 3 को योजनानुसार जारी किया जाना, एसडीएक्स-2 में कैप्चर लीवर को हटाना और दोनों उपग्रहों के लिए डी-कैप्चर कमांड जारी करना शामिल है।
इसरो की तरफ से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। दो उपग्रह SDX01 और SDX02, जिन्हें चेजर और टारगेट के नाम से भी जाना जाता है, 16 जनवरी को डॉक किए गए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), रूस और चीन के बाद भारत सफल अंतरिक्ष डॉकिंग की उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना था।
इससे पहले इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया था कि अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन के साथ आगे के प्रयोग 15 मार्च से किए जाएंगे। नारायणन का कहना था कि हमने एक योजना तैयार कर ली है और 15 मार्च से वास्तविक प्रयोग शुरू करेंगे। नारायणन के अनुसार वर्तमान में, एकीकृत उपग्रह एक अंडाकार कक्षा में है। इसलिए, हमें विभिन्न प्रयोगों के संचालन के लिए दो महीने में एक बार 10-15 दिन का समय मिलता है।